Monday, June 16, 2008

Koi Deewana Kahta Hai - by Dr Kumar Vishwas

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है !!!

समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आसुँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता ,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता !!!

मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है !!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

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