Tuesday, July 1, 2008

apne dil ko patthar ka...........

अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना

उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना

छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना

उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना

वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना

रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना

तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना

हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना

मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना

मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना

दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना

मंज़िल को पाना जरुरी भी नहीं ,
मंज़िलो से सदा फासला रखना

सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ' दीप ' को जला कर रखना............

कोई िशकायत नहीं...............

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