Saturday, April 19, 2008

AAZAADI


हेलो फ्रेंड्स ...काफी समय से सोच रहा था की देश की दशा के बारे मे कुछ लिखूँ पेर समझ मे नाही रहा था की क्या लिखूँ ,बस आज पढ़ते-पढ़ते आज़ादी के बारे मे पढ़ा...पढ़कर अच्छा भी लगा की हम अपनी आज़ादी के बारे मे बेहद सज़ाग और संजीदा हो गए है... लेकिन ये सोचकर दुख भी हुआ की क्या जिसे हम आज़ादी कह रहे हैं वो सच मे हमारी आज़ादी है...
यार काई तो ऐसे भी हैं जिन्हे स्वतंतत्रता दिवस और गडतंत्रता दिवस मे भी अंतर नही जानते...
और कभी तो पुणयतीथि मे भी ताली बज जाती है...
क्या छोटे या नाही के बराबर कपड़े पहनकर "हरे राम..हरे कृष्णा" कहना आज़ादी है या साधु के भेष मे चरस खीचना आज़ादी है... यार मालूम है की " 8 के.".."या जब मिल बैठेंगे"... इनका मतलब क्या है... लेकिन हम तो आज़ाद हैं...
ये तो हमारे सविधान मे लिखा है की भारत मे हरेक आदमी को अपनी बात रखने का पूरा हक़ है...

फिर क्यूँ सचिन के हेल्मेट मे तिरंगा लगाने पर या की सानिया का तिरंगे के सामने पैर रखने पर हूंगामा खड़ा हो जाता है...
यार हम लाख बुरे सही पर हमे अपने देश और अपने तिरंगे से बेहद प्यार है... वो भी आखिर इंसान ही है उनसे भी गलियाँ हो ही जाती है... लेकिन हम तो हैं खड़े पाव खीचने के लिए... यार हम क्यूँ अपने पड़ोसी की दीवार अपने से उँची होते नाही देखना चाहते...
ये मेरे देश के संस्कार नही हैं और ना ही किसी भी देश के हो सकता है...फिर ये आया कहाँ से... पता नही ?
मेरा ये मानना है "पंछी चाहे जितनी भी लंबी उड़ान भर ले वापस लौट के घोसले मे जरूर आता है"और आज नही तो कल हम भी लौटेंगे...अपने घरों मे...और शायद उस दीं हम असल मआयनो मे आज़ाद होंगे...

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